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बिदाई

समय विदाई का आया जब ,

बिटिया पूछे बाबुल से।

किया पराया पल में मुझको,

यह कैसी रीति निभाई है l

बचपन से ले आज तलक ,

घर कभी किसी के न भेजा l

भेज रहे हैं अजनबियों में,

कैसे रहेगी एक बार भी सोचा न।

अपनी लाडली बिटिया को,

क्यों गैरों के हांथ मे है सौंप दिया l

बिटिया पूछ रही बाबुल से,

बाबा बात समझ यह आयी न l

मेरे जिगर का टुकडा है तू,

कहते नही जो थकते थे।

पल में दूर किया खुद से

वह कैसे जिएगी सोचा न।

किया पराया पल में मुझको ,

बात समझ में आई न।

बिटिया पूछ रही बाबुल से,

क्यों मुझको किया पराई है ।

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1 Comments

Gunjan Kamal

30-Apr-2024 07:58 AM

बहुत खूब

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